The Basic Principles Of sidh kunjika
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
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न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
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दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी click here है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ